वार्ड क्रमांक 8 की पार्षद द्वारा मारा जा रहा गरीबों का हक


लॉकडाउन में मध्यमवर्गीय परिवरों की किसी जनप्रतिनिधि को सुध नहीं....
अपनी भूख से जान बचाते गरीब मजदूर अपना हक लेने बार बार जाते है पार्षद के पास


उज्जैन/शुभम राठौर संवाददाता
कोरोना महामारी के बीच जहां एक और शासन प्रशासन भोजन किट को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहा है वही महामारी में संकट से जूझते मध्यम वर्गीय परिवार के लोग अपनी व्यथा किसको सुनाने जाए। ना ही उनके पास राशन कार्ड होता है और ना ही पात्रता पर्ची और इसके बिना उन्हें सरकार द्वारा दी जा रही सारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। 
पीएम मोदी के आवाहन पर 25 मार्च से लॉक डाउन प्रारंभ हुआ था तभी से सरकार द्वारा रोज-रोज गरीबों की हर तरह से मदद की जा रही है पर वह जनता तक सीधा पहुंच नहीं पाता। कई पार्षद उस राशन को अपने जान पहचान वालों के यहां तक पहुंचा देते है और जनता को राशन ना आने के बात कहकर नकार देते है।
देश में कई समाजसेवी संस्था, नेता, पार्षद कर रहे हैं अपने पास से सेवा कार्य
देश में जबसे महामारी फैली है तभी से अनेकानेक समाज सेवी संस्था, नेता, पार्षदगण अपने-अपने तरीके से सेवा कार्य में लगे हुए हैं। कोई किसी गरीब को सरकार द्वारा दिया हुआ सुखा राशन तो कोई भोजन के पैकेट, कोई हाईवे पर निकलते हुए प्रवासी मजदूरों को चप्पल, गर्मी से बचने के लिए गमछा, एनर्जी ड्रिंक, आदि का वितरण इन समाजसेवी संस्था द्वारा किया जा रहा है। वहीं कोई कोई पार्षद और समाजसेवी जो सिर्फ अपने हित के बारे में सोच कर सेवा कार्य करते थे वह अब अपने घरों से भी बाहर निकलने से डर रहे है।
कुछ पार्षदों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं ली जा रही रुचि
देश में जहां हर तरफ से गरीब मजदूरों, बेसहारा लोगों कि मदद की जा रही है कई पार्षदों द्वारा सरकारी सहायता के साथ-साथ अपने खुद के पास से भी सेवा कार्य किया जा रहा है वही शहर में कई पार्षद अभी भी अपने अपने घरों में चैन की नींद सो रहे हैं ऐसा ही मंजर वार्ड क्रमांक 8 मेंं फैला हुआ है जहां वार्ड क्रमांक 8 शहर के पिछड़े इलाकों में आता है वहीं पार्षद द्वारा भी कुछ सेवा कार्य ना करने से वार्डवासी परेशान है। वार्ड की जनता को ना तो पार्षद द्वारा सरकारी सुविधा का लाभ मिल पा रहा है और ना ही कोई जनप्रतिनिधि इसकी सुध ले रहा है। चुनाव के वक्त गरीब जनता जिसे अपना हितकारी मानकर वोट देती है वही जनप्रतिनिधि सेवा कार्य को छोड़कर अपना पेट भरने में लगा हुआ है।
वार्ड क्रं. 8 के पार्षद द्वारा छीना जा रहा गरीबों का हक 
एक और केंद्र और राज्य सरकार लॉक डाउन में गरीबों को हर तरह की मदद कर रही है वही शहर के वार्ड क्रमांक 8 की पार्षद निर्मला गोपाल कन्नौदिया द्वारा गरीबों का हक छीना जा रहा है गरीब बेसहारा मजदूरों को ना ही तो सुखा राशन वितरित किया गया और ना ही कोई अन्य सहायता दी जा रही है। वार्ड वासियों ने बताया कि हम पार्षद के पास सुबह शाम सूखे राशन के लिए चक्कर लगा रहे हैं पर पार्षद द्वारा यह बोलकर टाल दिया जाता है कि अभी कुछ नहीं आया है जब आएगा तब आना। ऐसे में वार्डवासी वहां से मायूस होकर चले जाते हैं क्या पार्षद की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह अपने वार्ड की जनता को हर तरह की सुविधा मुहैया कराएं अगर पार्षद के पास राशन किट नहीं है तो वह आगे आला अधिकारियों की तरफ आवाज उठाएं। इससे साफ पता चलता है कि वार्ड 8 के पार्षद किस तरह गरीब बेसहारा जनता को धोखा दे रहे हैं.


पार्षद द्वारा मिलने वाली भोजन कीट में से तेल और शक्कर गायब


वार्डवासीयो ने बताया की शासन द्वारा जो सुखी भोजन सामग्री पार्षद द्वारा वितरित की जा रही हे उसमे से तेल और शक्कर मिलती ही नहीं हे. वही शासन द्वारा सुखी भोजन वितरण कीट में 5 या 10 किलो आटा आलूप्याज तेल और मशाले दाल चावल वितरित किए जाते हे जिनमे वार्डवासियो  ने बताया की उन्हें सिर्फ आटाऔर चावल ही मिल रहे हे तेल और शक्कर मिलते ही नहीं ये कहा जा रहे हे इसका किसीको पता नहीं।


पार्षदपति के भाई द्वारा भी बेचा जा रहा हे अधिक मूल्य पर किराना सामान


पार्षद पति का छोटा भाई किराने की दुकान संचालित करता हे जब कोई व्यक्ति उसके यहाँ खाद्य सामग्री लेने जाता हे तो वह मनमाने दाम वसूल करता हे जब ग्राहक इसका विरोध करता हे तो बोलता हे की नहीं हे सामान आगे से लेलो। यहाँ इतने ही देने पड़ेंगे और बेबस जनता को ज्यादा दाम में सामान लेना पड़ता हे


जब इस विषय पर हमारे प्रतिनिधि शुभम राठौर ने नगर निगम में पात्र व्यक्तियों को राशन वितरण के विषय पर चर्चा की तो पार्षद वहां से भी पल्ला झाड़ते हुए नजर आए। पार्षद पति कहते हैं कि जो पार्षदों की बैठक हुई थी हम वहां नहीं गए थे हमें नहीं पता वहां क्या निर्णय हुआ और ना ही मेरे पास कोई वितरण सामग्री आई है। जब हमारे प्रतिनिधि ने पूछा की मध्यमवर्गीय परिवार और बिना राशन कार्ड वालों को सुखी सामग्री वितरण करने का मुद्दा उठाया गया था। इस पर थोड़ा झिझकते हुए पार्षदपति ने कहा कि इसका मुझे कुछ पता नहीं है मैं आपसे बाद में बात करता हूं और फोन काट दिया।
इससे साफ जाहिर होता है कि जब पार्षद पति के पास अपनी ही जिम्मेदारियों के सवालों का उत्तर नहीं है तो वह क्या अपने वार्ड की जनता की सेवा करेगा।